जब किसी को लोगों की बातें या अन्य किसी ध्वनि को सुनने में कठिनाई हो, तब यह माना जाता है की उनकी सुनने की क्षमता कम हो गयी है, या उन्हें हियरिंग लॉस की समस्या है। हियरिंग लॉस अक्सर अपरिवर्तनीय प्रवृत्ति की होती है और उपचार के विकल्प सीमित होते हैं, इसलिए हियरिंग लॉस के कारकों की पहचान कर के उन पर रोकथाम लगाना आवश्यक है, ताकि आने वाले खतरे से बचा जा सके। संचार, सामाजिक कल्याण, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर हियरिंग लॉस के प्रतिकूल बहुत प्रभाव हैं। इसके कई कारण हो सकते है, जैसे कोई रोग या संक्रमण , कोई जेनेटिक वजह, कान में किसी तरह से चोट लगना, लम्बे समय तक ऊँची ध्वनि सुनना, इत्यादि।

महामारी विज्ञान के अध्ययनों के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की सुनने की शक्ति बेहतर होती है। जहाँ पुरुषों में अधिकतर 30 की आयु के बाद ही कम सुनाई देने लगता है, वहीँ महिलाओं में यह परेशानी 50 की आयु के बाद आती है।

कुछ अध्ययनों की माने तो इसका कारण महिलाओं में पाने जाने वाली एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हारमोन है, जो उनके कान की रक्षा करता  हैं और उन्हें हियरिंग लॉस से बचाए रखता है। एस्ट्रोजन को मानव शरीर के कई हिस्सों में कोशिकाओं को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है, जिसमें हृदय, मस्तिष्क और रक्त वाहिकाएं शामिल हैं। ऑडिटरी फ़ंक्शन  पर एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टोजेन का प्रभाव जटिल और अपूर्ण रूप से समझा जाता है। एस्ट्रोजेन रिसेप्टर्स, सेंट्रल और पेरीफेरल ऑडिटरी संरचनाओं में मौजूद होते हैं। मानव और पशु अध्ययनों से पता चला है कि कम एस्ट्रोजन का स्तर सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, संभवतः कर्णावत रक्त के प्रवाह में परिवर्तन, न्यूरोरेगुलेटरी मैकेनिज्म, न्यूरोनल फिजियोलॉजी या फिर ओटिक कैप्सूल में बोन मेटाबोलिज्म की मौजूदगी से भी हो सकता है।

परन्तु मीनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हारमोन का स्तर कम होने लगता है, और शायद इसीलिए एक नए अध्ययन में कहा गया है कि महिलाओं में हियरिंग लॉस का एक मुख्य कारण मेनोपॉज है।

मेनोपॉज़  तब होती है जब किसी महिला को लगातार 12 महीनों से माहवारी नहीं हुई होती है, और ना ही वो गर्भवती या बीमार होती हैं। यह उम्र बढ़ने का एक सामान्य हिस्सा है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ महिला के सेक्स हारमोन का स्तर स्वाभाविक रूप से नीचे चला जाता है, और उनके अंडाशय अंततः अंडे उत्पादित करना बंद कर देते हैं, और इसलिए महिलाओं की पीरियड्स भी  बंद हो जाती है, और वह गर्भवती भी नहीं हो सकती हैं। अधिकांश महिलाएं अपने 40 या 50 के दशक में मेनोपॉज़  से गुजरती हैं। परन्तु कुछ महिलाओं  में किसी चिकित्सा स्थिति या उपचार के कारण, जैसे कि अंडाशय को हटाना या किसी प्रकार के कर्क रोक के इलाज के कारण समय से पहले ही मेनोपॉज़ की शुरुआत हो जाती है।

मेनोपॉज़ के समय के आसपास, कई महिलाएं शारीरिक बदलाव का अनुभव करती हैं जैसे अचानक शरीर गर्म हो जाना, जिससे हॉट फ्लासेस भी कहते है, रात को पसीना, योनि का सूखापन और सेक्स के प्रति कम उत्तेजना, जैसे लक्षण दिखाई देने लगते है। यह चिंता, मनोदशा में परिवर्तन, और सेक्स के प्रति कम रूचि होना, इन सारी स्थितियों को भी जन्म दे सकता है।

कई महिलाओं में मासिक धर्म समाप्त होने से पहले, या मेनोपॉज़ के शुरू होने से पहले ही ये लक्षण शुरू हो सकते हैं, और कई वर्षों तक रह सकते हैं, और इस वजह से उनके जीवन की गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जिसका असर कम या ज्यादा भी हो सकता है। हालांकि, इन लक्षणों के प्रबंधन के तरीके हैं, और इन मे से एक तरीका है ओरल हॉरमोन थेरेपी

इस उपचार में, डॉक्टर आमतौर पर उन महिलाओं के लिए एस्ट्रोजन की कम खुराक का सुझाव देते हैं, जिन्होंने हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी या गर्भाशय को हटाने के लिए सर्जरी करवाया है या जिन महिलाओं की बाइलेट्रल उफॉरेक्टमी सर्जरी या गर्भाशय और अंडाशय को हटाने की सर्जरी होती है। एस्ट्रोजेन विभिन्न रूपों में आता है जिनमें एस्ट्रोजन गोली और एस्ट्रोजन पैच सबसे सामान्य हैं, लेकिन यह हॉरमोन, वैजाइनल रिंग, जेल या स्प्रे में भी उपलब्ध है।

ओरल हॉरमोन थेरेपी कई रूप में मददगार है, जैसे, यह मेनोपॉज़ के लक्षण से राहत प्रदान करता है, और हॉट फ्लासेस की समस्या में भी आराम देता है। यह हड्डियों के नुकसान (ऑस्टियोपोरोसिस) को रोकने और पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में बोन फ्रैक्चर के जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकता है। यह अन्य लक्षण, जैसे कि योनि का सूखापन, डिस्पेर्यूनिया, मूड लैबिलिटी और नींद की गड़बड़ी में भी अक्सर सुधार लाता है।

हालांकि इसके कुछ दुष्प्रभाव भी है। अध्ययनों से पता चला है कि उपचार में एस्ट्रोजन के इस्तेमाल से गर्भाशय के कैंसर और ब्रैस्ट कैंसर का खतरा भी हो सकता है। परन्तु यह इस्तेमाल के अवधि पर भी निर्भर करता है।

मेनोपॉज़ को हियरिंग लॉस का कारक बताने की दो वजह है। पहला उम्र, बढ़ती उम्र और सुनने की परेशानियों का एक दूसरे से सीधा सम्बन्ध माना जाता है। और दूसरा कारण है, मेनोपॉज़ के कुछ लक्षणों को कम करने के लिए एक ओरल हारमोन थेरेपी का उपयोग। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि एक महिला जितनी अधिक समय तक हारमोन थेरेपी का इस्तेमाल करती है, सुनने की समस्याओं की उतनी ही अधिक संभावना होती है।

लंबे समय से ही मेनोपॉज़ और एस्ट्रोजन – प्रोजेस्टेरोन हारमोन का  हियरिंग लॉस पर सीधा प्रभाव पड़ने पर संदेह किया जा रहा था। हालांकि, पिछले अध्ययनों से यह निष्कर्ष मिला था की, मेनोपॉज़ के दौरान सुनने की क्षमता पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है, परन्तु हॉरमोन थेरेपी से फायदा होता है। हालांकि, द नॉर्थ अमेरिकन मेनोपॉज़ सोसाइटी (NAMS) के एक जर्नल ‘मेनोपॉज़’ में यह बताया गया था की, प्राकृतिक मेनोपॉज़  पर वृद्धावस्था और ओरल हॉरमोन थेरेपी का सुनने की क्षमता पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।

नर्सेस हेल्थ स्टडी II, एक बड़े पैमाने का अध्ययन जिसमे लगभग 81,000 महिलाओं के मौजूदा आंकड़ों का विश्लेषण किया गया, और जिससे मेनोपॉज़ और मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं में हियरिंग लॉस के संबंध में ओरल हॉरमोन थेरेपी (एच.टी) के उपयोग की जांच की गयी थी। यह अध्ययन केवल मेनोपॉज़  में हियरिंग लॉस और हारमोन थेरेपी या वृद्धावस्था के बीच संबंध दिखा सकता है। यह एक कारण और प्रभाव संबंध साबित करने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया था।

अध्ययन की शुरुआत में महिलाओं की उम्र 27 से 44 वर्ष के बीच थी, और 1991 और 2013 के बीच 22 वर्षों तक उनका चिकित्सीय पालन किया गया था। इस समय के दौरान, महिलाओं ने अपनी हियरिंग लॉस और ओरल हॉरमोन थेरेपी (एच.टी) करवाने की आत्म-सूचना दी।

लगभग 23 प्रतिशत प्रतिभागियों (या 18,558 महिलाओं) ने अनुवर्ती अवधि के दौरान कुछ हद तक हियरिंग लॉस की सूचना दी। प्रतिभागियों द्वारा ली गई ओरल हॉरमोन थेरेपी (एच.टी) में एस्ट्रोजन थेरेपी या एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजन शामिल थे। अध्ययन में पाया गया कि पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में ओरल हॉरमोन थेरेपी (एच.टी) का उपयोग, साथ ही साथ ओरल हॉरमोन थेरेपी (एच.टी) का लंबे समय तक उपयोग, दोनो ही हियरिंग लॉस होने के खतरे से सह-संबंधित थे।

इसका मतलब यह है कि ओरल हॉरमोन थेरेपी, हियरिंग लॉस के खतरे को बढ़ावा देता है, और यह भी कि लोग जितना लम्बे समय तक यह थेरेपी को करते हैं, उतना ही अधिक हियरिंग लॉस का खतरा उन्हें होता है।

इसके अतिरिक्त, अध्ययन में पाया गया कि वृद्धावस्था में मेनोपॉज़ का हियरिंग लॉस से सीधा सम्बन्ध है। इस एसोसिएशन ने शोधकर्ताओं को आश्चर्यचकित किया, और इसके पीछे के कारण अज्ञात हैं।

Open chat
Need Help? Chat Now
Need Help? Chat Now