बाँझपन वह समस्या है, जिसमें दंपत्ति, एक वर्ष या उससे अधिक समय तक काफी प्रयासों के बाद भी गर्भधारण करने में असमर्थ होते हैं। यह समस्या ना केवल महिला – पुरुष के जीवन को प्रभावित करती है बल्कि महिला और पुरुष के विस्तारित परिवार को भी प्रभावित करती है। इंसान अपने जीवन में एक समय के बाद अपना परिवार बनने के बारे पर विचार करता है, कई लोगों के जीवन में अपने घर में बच्चों की किलकारियाँ सुनने की चाह अधूरी ही रह जाती है, क्योंकि दम्पतियों में महिला या पुरुष दोनों में से किसी एक को बांझपन की समस्या होती है, बांझपन के कई कारण हो सकते हैं, या तो यह कमी महिला में भी हो सकती है या पुरुषों में भी हो सकती है, परन्तु अक्सर यह देखा जाता है कि  समाज में बांझपन के लिए के लिए महिलाओं को ही दोषी समझा जाता है, परन्तु यह गलत धारणा है,लगभग 40% बांझपन की समस्या पुरुषों में देखने को मिलती हैं और इसका कारण आजकल की जीवनशैली और खान – पान को माना जा सकता है।

बाँझपन के कारण

बाँझपन के निम्नलिखित कारण हैं, बाँझपन के कुछ कारण पुरुषों से तथा कुछ महिलाओं से संबंधित होते हैं 

पुरुषों में बांझपन के क्या कारण निम्नलिखित हैं :-

  • पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या का कम होना, जिसे Low Sperm Count भी कहते हैं।
  • पुरुषों के सीमेन में शुक्राणुओं की उपस्थिति का ना होना, जिसे Azoospermia कहा जाता है।
  • पुरुषों की शुक्राणुओं की गति कम होना जिसे Low Sperm Motility के नाम से भी जाना जाता है।
  • पुरुषों के शुक्राणुओं के आकार का आकार सही नहीं होना जिसे Poor Sperm Morphology कहते हैं।
  • पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता की कमी अर्थात् Low Quality Sperm की कमी और शुक्राणुओं से संबंधित कई और अन्य कारण भी पुरुषों को पिता बनने में समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।

महिलाओं में बांझपन के क्या कारण निम्नलिखित हैं :-

  • महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब में रुकावट (ब्लॉकेज) का होना।
  • महिलाओं के हॉर्मोन में असंतुलन अर्थात् (PCOS) की समस्या |
  • महिलाओं के मासिक -धर्म का अनियमित होना।
  • महिलाओं के गर्भाशय में समस्या होना आदि।

महिला और पुरुष में बाँझपन के उपयुक्त दिए गए कारणों के अतिरिक्त एक अन्य मुख्य कारण उच्च शोर भी है, वर्तमान समय में मनुष्य के जीवनशैली में काफी परिवर्तन के कारण महिला और पुरुष में बाँझपन का एक अन्य कारण  उच्च शोर की समस्या भी है | आज ध्वनि प्रदूषण को मानव समाज की समस्याओं में से एक माना गया है, और मानव जीवन पर तनाव के प्रभाव के बारे में अध्ययन आवश्यक लगता है। विभिन्न रोगों के संदर्भ में एक तनाव के रूप में ध्वनि प्रदूषण की भूमिका का अध्ययन किया गया और शरीर के हार्मोन, गर्भावस्था आदि वर्तमान समय में ध्वनि प्रदूषण को मनुष्य के जीवन की एक गंभीर समस्या माना जाता है, ध्वनि प्रदूषण अर्थात् अत्यधिक शोर होना जो कि मनुष्य के सुनने की क्षमता से अधिक हो तथा असहनीय हो, उच्च शोर के कारण वर्तमान जीवन में महिला तथा पुरुष तनाव युक्त जीवन जी रहे हैं, उच्च शोर की  वजह से उन्हें बाँझपन की  समस्या का भी सामना करना पढ़ रहा है, जो मनुष्य के हारमोन में  असंतुलन उत्पन्न कर रहा है और पुरुषों के शुक्राणुओं की गतिशीलता पर हानिकारक प्रभाव डालता है , गोनाडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन महिला तथा पुरुषों में हाइपोफिसिस को उत्तेजित करता है परन्तु उच्च शोर के कारण पुरुषों के शुक्राणु की प्रगतिशील गतिशीलता में काफी कमी उत्पन्न हो जाती है, जो बाँझपन का कारण बनती है | ध्वनि प्रदूषण या उच्च शोर के कारण भी पुरुषों में अधिवृषण, वीर्य पुटिका, और उदर प्रोस्टेट की समस्या उत्पन्न होती है, जो पुरुषों में बाँझपन की समस्या को उत्पन्न करती है |

कई अध्ययनों में पाया गया है कि 20 – 59 साल की उम्र वाले पुरुष यदि अत्यधिक समय तक शोर – शराबे वाले क्षेत्रों में रहते हैं, अत्यधिक शोर पुरुषों में प्रजनन क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित करती है, जिससे बाँझपन की समस्या उत्पन्न हो सकती है, चिंताजनक बात यह है कि यदि पुरुष 4 साल तक हर रात 55 डेसिबेल (Db) या अधिक शोर का सामना करते हैं तो पुरुषों में प्रजनन क्षमता कम हो जाती है और यह बाँझपन का कारण बन जाती है, यह समस्या अत्यधिक  शोर वाले पुराने पंखे और एयरकंडीशनर के चलने से भी उत्पन्न होता है | यदि पुरुष 90 डेसिबेल (Db) या उस से अधिक शोर वाले वातावरण में कुछ महीने तक रहते हैं तो पुरुषों की प्रजनन स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और यदि यह सिलसिला कई सालों तक लंबे समय तक चलते रहने पर पुरुषों में प्रजनन क्षमता पूरी तरह से ख़त्म हो जाती है, अध्ययन में पाया गया है कि पुरुषों में बाँझपन की समस्या में वृद्धि देखने को मिल रही है, जिसका के मुख्य कारण अधिक शोर-शराबे वाला पर्यावरण अर्थात् ध्वनि प्रदूषण भी है |

बहुत सारे अध्ययनों  में पाया गया कि महिलाओं के घर के पास अत्यधिक ट्रैफिक शोर होना अर्थात् प्रत्येक 10 डेसिबल में पांच से आठ प्रतिशत तक वृद्धि होना भी महिलाओं को गर्भवती होने में बाधा उत्पन्न करती है साथ ही यह शोर  अधिक होने पर यह महिलाओं के बाँझपन का कारण बन जाता है, कई महिलाएं शोरगुल वाली नौकरियों में काम करती हैं, मुख्यरूप से ऐसी महिलाएं जो मशीनों, बंदूकों, तेज संगीत, लोगों की भीड़, सायरन, ट्रकों या हवाई जहाज आदि क्षेत्रों कार्य करती हैं, अत्यधिक शोर महिलाओं के हार्मोनल प्रक्रिया को प्रभावित करती है, जिस वजह से यह तो महिलाओं को गर्भधारण करने में बहुत समस्या उत्पन्न होती हैं या तो महिलाएं पूर्ण रूप से बाँझपन का  शिकार हो जाती हैं, अत्यधिक शोर की समस्या महिलाओं के प्रजनन क्षमता में दुष्प्रभाव को उत्पन्न करता है, साथ ही मनुष्य के  शरीर के तनाव की प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है ,जिससे महिलाओं और पुरुषों में सेक्स हार्मोन के सामान्य नियंत्रण को बाधित करता है साथ ही अधिक शोर शुक्राणु की संख्या और उनकी गतिशीलता दोनों को कम कर देता जिससे बांझपन की समस्या उत्पन्न हो जाती है  |

अत्यधिक शोर के कारण मनुष्य में तनाव की समस्या उत्पन्न होने लगती है जिस वजह से मनुष्य के कोर्टिसोल, तनाव हार्मोन शरीर के अन्दर कई प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं, जिस कारण मनुष्य के शरीर के एक  ग्रंथि में हार्मोन का असंतुलन  उत्पन्न होता है तो वह अन्य सभी हार्मोनल ग्रंथियों पर भी  प्रभाव डालना शुरू कर देती है, और अत्यधिक तनाव होने के कारण अधिवृक्क कोर्टिसोल का उत्पादन होता है, जो महिलाओं को प्रभावित कर सकता है, जिससे महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म चक्र की समस्या उत्पन्न होने लगती है और महिलाओं को गर्भधारण करने में समस्या उत्पन्न होती है और यदि समस्या अत्यधिक होने पर महिलाओं को बाँझपन की समस्या उत्पन्न हो जाती है | साथ ही साथ यदि मनुष्य 

 अपने जीवन का अत्यधिक समय शोर – गुल में गुजरता है तो वह तनावग्रस्थ हो जाता है, यदि मनुष्य सही से अपना आहार ग्रहण नहीं करता और साथ ही आहार में पोषक तत्वों की कमी होती है, तो उनके गर्भधारण करने की संभावना भी कम हो जाती है और यही वजह है कि महिलाओं के अंडे की परिपक्वता और पुरुषों के शुक्राणु की आकृति पर बुरा प्रभाव पड़ता है ,जो महिला और पुरुष के बाँझपन का एक मुख्य कारण बन जाता है, साथ ही साथ मनुष्य अत्यधिक शोर की वजह से तनाव में होने से अपने आप को तनाव मुक्त रखने के लिए अत्यधिक धूम्रपान और शराब का सेवन करने लगता है, जो पुरुषों के शुक्राणुओं और महिलाओं के अंडाशय पर बुरा प्रभाव डालते हैं, जो महिला और पुरुष में बाँझपन की समस्या को बढ़ा देता है |

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